Ranchi: बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामला मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा झारखंड पुलिस को बताए बगैर बोकारो से युवक की गिरफ्तारी से जुड़ा है. मामले की सुनवाई जस्टिस एस चंद्रशेखर और रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.
जानकारी हो कि पिछले सुनवाई में कोर्ट ने झारखंड पुलिस पर नाराजगी जतायी थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि झारखंड पुलिस को ट्रेंड होने और कानून की जानकारी रखने की बात कहीं थी. साथ ही कोर्ट ने डिटेल एफिडेविट फाइल कर कहा था. जिसके लिये समय मांगा गयी. मामले की प्रार्थी नीलम चौबे है.लॉ का छात्र है अभियुक्त: बीते साल 24 नवंबर को मध्य प्रदेश पुलिस ने बोकारो से लॉ छात्र की गिरफ्तारी की थी. लेकिन परिजनों को इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गयी. दायर याचिका में कहा गया है कि छात्र की गिरफ्तारी के वक्त पुलिस के पास सिर्फ सर्च वारंट था, जबकि अरेस्ट वारंट अनिवार्य है. वहीं, परिजनों की जगह रिश्तेदार को गिरफ्तारी की जानकारी दी गयी. अधिवक्ता हेमंत षिकरवार ने बताया कि जस्टिस डीके वासु के आदेश का भी पुलिस ने दस दौरान उल्लंघन किया है. जिसमें गिरफ्तारी के वक्त पुलिस को यूनिफॉर्म के साथ आधिकारिक वाहन में होना चाहिये. लेकिन छात्र की गिरफ्तारी के वक्त ऐसा नहीं किया गया.