रांची।।कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बहुत तेजी से बढ़ रही है. इसकी वजह से देश के कई राज्यों में कोरोना संक्रमितों की संख्या भी तीव्र गति से बढ़ रही है. वहीं कोरोना पॉजिटिव लोगों की मृत्यु दर में भी तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न राज्य कई तरह के सख्त कदम उठा रहे हैं. कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है. छत्तीसगढ़ जैसे कुछ राज्यों ने अपने कई शहरों में पूर्ण लॉकडाउन लगाया है. वहीं कुछ राज्यों में वीकएंड लॉकडाउन लगाया गया है.
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार की वजह से ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तिथियां आगे बढ़ा दी गयी हैं. झारखंड में भी रात आठ बजे तक ही दुकान और बाजार खोलने की अनुमति दी गयी है. पुलिस और प्रशासन लोगों से मास्क लगाने, शारीरिक दूरी रखने और कोविड संबंधी अन्य गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन कराने के लिए जुर्माना तक वसूल कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि बंगाल में चुनाव के लिए बड़ी बड़ी रैलियां हो रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा भाजपा के कई केंद्रीय मंत्री बंगाल में रैलियां कर रहे हैं. वहीं टीएमसी प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेता भी रैलियां कर रहे हैं. कांग्रेस, सीपीएम और अन्य राजनीतिक दल भी रैलियां कर रहे हैं.
इन रैलियों में कोविड संबंधी गाइडलाइंस की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. लाखों लोगों की भीड़ रैलियों में हो रही है क्या इनमें कोरोना संक्रमण नहीं फैल रहा है? ऐसे में आपको बता दे कि यह सच नहीं है. चुनावी राज्यों में भी कोरोना संक्रमण तेजी से अपने पैर पसार रहा है. पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मी के बीच कोरोना संक्रमण ने रफ्तार पकड़ ली है.
मृत्यु दर में देश में तीसरे नंबर पर है बंगाल
आठ चरणों में चुनाव से गुजर रहे पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रैलियों में भीड़ के साथ ही कोरोना के केस भी बढ़ते दिख रहे हैं. पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर 1.7 प्रतिशत हो गई है, जो देश में तीसरे नंबर पर है और महाराष्ट्र के बराबर ही है. जबकि पूरे देश में यह आंकड़ा 1.3 फीसदी का ही है. इससे पता चलता है कि चुनावी राज्य में भी कोरोना जमकर पैर पसार रहा है.
पड़ोसी राज्यों की तुलना में तेजी से बढ़ रहे हैं मामले
पिछले सात दिनों से लगातार पश्चिम बंगाल में हर दिन 3,040 केस मिल रहे हैं. वहीं बिहार में यह आंकड़ा 2,122, झारखंड में 1,734 और ओडिशा में 981 है. असम की बात करें, तो नए मरीजों का औसत 234 है, जो बंगाल के मुकाबले 10 गुना से ज्यादा कम है. कुल केसों की बात करें, तो पश्चिम बंगाल की महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के मुकाबले अच्छी स्थिति है, लेकिन जिस तरह से नए केसों में इजाफा देखने को मिल रहा है, वह चिंता की बात है. 26 फरवरी को राज्य में चुनाव की घोषणा के बाद से कोरोना मामलों की संख्या दोगुनी होने की अवधि 15 गुना तक कम हो गई है. 12 अप्रैल के आंकड़ों के मुताबिक, 138 दिनों में केस दोगुने होने की स्थिति है.
अभी चार चरणों का चुनाव है बाकी
बता दें कि पश्चिम बंगाल में अब भी चार चरणों का चुनाव बाकी है. 17, 22, 26 और 29 अप्रैल को अभी मतदान होना है. उससे पहले चुनाव प्रचार जोरों पर है. ऐसे में विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं कि राज्य में कोरोना का कहर बढ़ सकता है. रैलियों में बड़े पैमाने पर लोगों के जुटने और आवाजाही के चलते संकट गहरा सकता है. बता दें कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है, लेकिन इसका पालन ढंग से नहीं हो पा रहा है.