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रघुवर का आरोप, सीएम हेमंत ने अपने नाम पर ली अनगड़ा में पत्थर खदान, पेश किये दस्तावेज

Ranchi: पूर्व सीएम और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने गुरुवार को सीएम हेमंत सोरेन पर जोरदार हमला बोला. पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने 28 जनवरी को ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर कुछ सवाल उठाये थे. इसके बाद परिवार की भक्ति में लीन झामुमो नेता ने लोगों को गुमराह कर सच पर पर्दा डालने का प्रयास किया है. सच यह है कि ग्रैंड माइनिंग कंपनी पर सरकार का आज भी आठ करोड़ रुपये बकाया है. बकाया वसूलना तो दूर कंपनी आज भी अवैध माइनिंग का काम कर रही है और पत्थर बांग्लादेश जा रहा है. इस कंपनी का कौन डायरेक्टर है, यह संथाल का बच्चा-बच्चा जानता है. हेमंत के छोटे भाई और विधायक बसंत सोरेन को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिये.

अमानत में खयानत करने में लगे हैं सीएम

रघुवर ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन भी अमानत में खयानत करने में लगे हैं. उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए सीएम रहते अपने नाम पर पत्थर खदान लीज की स्वीकृति ली है. रांची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में अपने नाम से पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति ली है जो लोक सेवक होने के नाते अवैध है. लोक आचार संहिता का उल्लंघन करने को उन्हें इस्तीफा देना चाहिये. झामुमो किसी और को सीएम बनाये.

सीएम कर रहे प्रावधानों का उल्लंघन

रघुवर दास ने जिम्मेदारी के साथ आरोप लगाते कहा कि सीएम ने अरगोड़ा (रांची) में पत्थर खदान लीज की स्वीकृति ली है. इस खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए वे 2008 से ही प्रयासरत थे. सीएम मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक 615/M द्वारा पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति हेतु सैद्धांतिक सहमति के आशय का पत्र (एलओआइ) विभाग ने 16 जून 2021 को जारी कर दिया. जिला खनन कार्यालय, रांची ने (पत्रांक- 106, 10-07-2021) खनन योजना की स्वीकृति दी. उसके बाद हेमंत ने 09-09-2021 को SEIAA को आवेदन भेजा. स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट ऑथोरिटी (SEIAA) द्वारा 14-18 सितम्बर, 2021 को सम्पन्न 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा की गई.मुख्यमंत्री के द्वारा इस तरह का किया गया कार्य गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी मंत्रियों के लिए आचार संहिता का उल्लंघन है. साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,  1988 की धारा 13(1)(डी) के तहत आपराधिक कृत्य है. केंद्र सरकार का यह कोड ऑफ कंडक्ट केंद्र सरकार के मंत्रियों व राज्य सरकार के मंत्रियों पर लागू होता है. हेमंत सीएम के पद को पिछले दो साल से ज्यादा समय से संभाल रहे हैं और सरकारी सेवक के रूप में आते हैं. यह आश्चर्य है कि एक सीएम जिसके अंदर खान विभाग है, वही विभाग उन्हें पत्थर खनन पट्टा की स्वीकृति के लिए सैद्धांतिक सहमति का पत्र (एलओआइ) जारी करता है. जिला कार्यालय उनकी खनन योजना को स्वीकृत करता है. उनके अंदर का एक विभाग पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी देता है. यह अपने फायदे के लिए सीएम के पद का दुरुपयोग है जो कि धारा 7 (ए) भ्रष्टाचार निरोधक कानून अंतर्गत दंडनीय अपराध है. सरकार ने जिस जमीन की माइनिंग लीज दी है, वह सरकारी संपत्ति है. ऐसे में मुख्यमंत्री जो कि एक सरकारी सेवक हैं, इस नाते उनके द्वारा लीज लेना गैर कानूनी है. हेमंत सोरेन को डिसक्वालीफाई करना चाहिए.हेमंत सोरेन भारत सरकार के द्वारा जारी कोड ऑफ कंडक्ट के भी दोषी हैं. इसके मुताबिक कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री किसी तरह का व्यापार नहीं कर सकता है. श्री सोरेन द्वारा जनता के विश्वास एवं प्रजातांत्रिक व्यवस्था का घोर उल्लंघन किया जा रहा है. जनता की भलाई करने की जगह श्री हेमंत सोरेन खुद की भलाई में लगे हैं. अब उनका कच्चा चिट्ठा सामने आ गया है. यदि उनके पास थोड़ी भी नैतिकता बची हो तो अपने पद से इस्तीफा दे दें. अब वे इस मामले को लेकर राजभवन जायेंगे और राज्यपाल के सामने सारी बातों को रखेंगे.

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