Ranchi: पेसा एक्ट और बालू घाट मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से सख्त नाराजगी जताई है. चीफ जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की बेंच वाली खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य में बालू घाटों की निलामी हो रही है, लेकिन कोर्ट के लिये ये जानना जरूरी है कि इसके लिए पंचायतों और ग्राम सभा से अनुमति ली जा रही है या नहीं. जो पेसा एक्ट के प्रावधानों के अनुरूप है.
इतना ही नहीं राज्य भर में लघु खनिज मामले में कितनी बार लाइसेंस और खनन पट्टा दिये जाने के पहले अनुमति ली गयी. कोर्ट ने इस दौरान त्रिस्तरीय सेल्फ गवर्नेंस लागू नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की. मामले में प्रार्थी वाल्टर कंडुलना ने याचिका दायर की थी. इस दौरान कोर्ट ने पूछा कि अगर राज्य में पेसा एक्ट लागू है तो राज्य सरकार एक्ट के प्रावधानों को भी लागू करें. साथ ही लोकल सेल्फ गवर्नेंस को भी लागू नहीं किया गया है. जबकि प्रावधानों के अनुसार इसका अधिकार ग्रामीणों और पंचायतों को है. मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को निर्धारित की गयी है.
कोर्ट को इस दौरान बताया गया कि पंचायती राज एक्ट 2001 के संसोधित ड्राफ्ट को राजस्व और भूमि सुधार विभाग औऱ् गृह कारा विभाग की तरफ से अनुमोदित नहीं किया गया है. जबकि एक्ट में संषोधन साल 2019 में हुआ था. इस वजह से संशोधित नियमावली सरकार के स्तर पर लंबित है. केंद्र सरकार ने इस संबंध में कई बार राज्य सरकार के अधिकारियों को पत्र लिख कर कार्रवाई करने को कहा है लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुआ है.