विवाह पंचमी एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जिसे बहुत उत्साह और विश्वास के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, विवाह पंचमी मार्गशीर्ष (अग्रहयान) में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। इस वर्ष विवाह पंचमी 8 दिसंबर को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसलिए, इस दिन को हर साल उनकी शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। विवाह पंचमी का त्योहार भारत और नेपाल में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहित जीवन की परेशानियां समाप्त 14 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त
16 दिसंबर से शुरू होगा खरमास, एक माह के नहीं होंगे कोई भी शुभ कार्य
विवाह पंचमी का महत्व
जानिये पर्व का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि
भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में राम और सीता के विभिन्न मंदिरों में विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन विवाह पंचमी का सबसे पवित्र और भव्य उत्सव अयोध्या (भगवान राम का जन्मस्थान) और जनकपुर (नेपाल में स्थिति देवी सीता का जन्मस्थान) में आयोजित किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रभु श्रीराम और माता जनकनंदिनी की पूजा करने से सारी बाधाएं दूर होती हैं। कुंवारी लड़कियों को माता सीता की पूजा करनी चाहिए। इससे उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इस दिन घर में पूजा-पाठ और हवन करने से दांपत्य जीवन में सुख आता है। वह परिवार में शांति और प्रेम की वृद्धि होती है।
इस दिन से शुरू होगा खरमास
खरमास का महीना 14 दिसंबर से शुरू होगा। वह एक महीने बाद यानी 14 जनवरी 2022 को समाप्त होगा। इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे। ऐसी मान्यता है कि इस माह सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है। इस कारण कोई भी शुभ काम सफल नहीं होते